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Vitamin D: Wonder Pill or Overkill?(HINDI CONCLUDED )

आत्मघात (आत्महत्या या suicide )

आत्मघात  के एक और सम्भव कारण विटामिन -D की कमी की ओर शक की सुई जब से घूमी है अधिक अनुसंधान इसकी पड़ताल में होने लगे हैं। पता यह भी लगाने की मंशा है के क्या आत्मघाती प्रवृत्ति का जोखिम इस विटामिन की कमी बनी रहने पर बढ़ जाता है।

इसी पड़ताल के तहत शोध कर्ताओं ने एक अध्ययन' डिपार्टमेंट ऑफ़ डिफेंस सीरम रिपॉजिटरी पर्सनेल ' पर संपन्न किया है। इसमें ४९५ आत्मघात के पुष्ट और प्रमाणित मामलों में इस विटामिन  के स्तर की तुलना इतने ही तुलना के लिए शामिल कंट्रोल्स से के स्तर से की गई। 

पता चला इसके   निम्नतम  स्तर २५ (OH)D, का संबंध आत्घात के  बढ़े  हुए जोखिम से है। 

एक और अध्ययन में ५९ ऐसे लोगों के विटामिन -D स्तर की तुलना १७ ऐसे लोगों से जो अवसाद ग्रस्त तो थे लेकिन आत्मघात की प्रवृत्ति उनमें न थी ,तथा १४ स्वस्थ कंट्रोल्स से की गई। 

जिन लोगों ने आत्मघात का (असफल) प्रयास किया था ,उनमें इसका स्तर कमतर मिला अन्य सभी  से। 

तब क्या इसकी कमीबेशी को दूर करके अवसाद से बचे रहा जा सकता है ,अवसाद का इलाज़ भी किया जा सकता है ?इस दिशा में अनुसंधान ज़ारी हैं। 

  
अलादीन का चराग और क्या होता होगा ?जादू की छड़ी और आप किसको कह सकते हैं एक जादुई गोली समाधान प्रस्तुत करे हकीम तुर्कमान बन जाए  -

अस्थियों की मजबूती का ,दिल के तमाम रोगों का ,मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस का ,कैंसर समूह रोगों का ,अवसाद का। और सम्भवतया आपके वजन  को भी कद काठी के अनुरूप घटाने में कारगर हो। 

उम्मीद से जुड़ी हुई है शोध की  खिड़की और तमाम माहिर 

हमारी चमड़ी हमारी त्वचा ,हमारी त्वचा पर सूर्यकी रश्मियों के पड़ने पर तद्जनित क्रिया -प्रतिक्रिया का परिणाम होता है यह जादुई विटामिन। अलावा इसके चंद खाद्य और खाद्य सम्पूरण इसकी आपूर्ति करवाते हैं। 

शिशुकाल से लेकर वृद्धावस्था तक , आबालवृद्धों सभी के लिए हड्डियों (अस्थियों )बॉन्स की मजबूती के लिए इसका वांछित स्तर बने रहना एक बहुत ही अहम मसला बना रहता है। इसकी पर्याप्त एवं समुचित आपूर्ति ब्लड विटामिन D लेवल हमारे शरीर द्वारा कैल्शियम की जज़्बी में भी मददगार साबित होता है। दोनों का दांत काटी रोटी का साथ है। 

उम्रदराज़ लोगों में 

इसकी दैनिक खुराक डेली डोज़ अस्थियों को भंगुर होने ब्रिटल पड़ने  तथा भंग होने से बचाये रख सकती है। बालकों को सूखा रोग रिकेट्स से बचाये रखने ,तथा हड्डियों की मजबूती के लिए भी इसकी जरूरत रहती है। बौवेड लेग्स (bowed legs ), नॉक नीज (knock knees),तथा कमज़ोर अशक्त अश्थियों से यही बचाये रह सकता है पर्याप्त आपूर्ति होते रहने पर। 


१९३० के दशक में दूध को विटामिन -D से पुष्टिकृत करने के बाद सूखा रोग का दुनिया भर से तकरीबन एक तरह से  निवारण ही हुआ है । 

वजन और विटामिन -D

अध्ययनों से पता चला है ओबीस (मोटापे से ग्रस्त )लोगों में ब्लड विटामिन -D लेवल कमतर रहता है। चर्बी इसे अपने में ही उलझाये रहती है लिहाज़ा शेष शरीर को अस्थियों ,मुक्तावलि आदि को इसकी आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती है ओबीस लोगों में। 
इस बात का इल्म नहीं है के कहीं मोटापा ही तो इसकी कमी के लिए असली कुसूरवार नहीं है। 

अलबत्ता जिन ओबीस लोगों को सीमित केलोरीज़ पर रखा जाता है उनकी दैनिक खुराक में इसकी मौजूदगी उन्हें वजन को आसानी से कम करने में सहायक सिद्ध होती है।

सन्दर्भ -सामिग्री :
(१ )Reference:

(1)https://www.medicinenet.com/vitamin_d_deficiency/article.htm

 cause symptoms?

(2)https://www.webmd.com/food-recipes/ss/slideshow-vitamin-d-overview
(३ ) (3)

Vitamin D: Wonder Pill or Overkill?

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