यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।
किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से नुकसानी फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़ सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के जो कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने।
दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्थ )हमारे दिमाग के उन हिस्सों से रासायनिक तौर पर जल्दी बंध जाते हैं जो हमारे संवेगों और पीड़ा को नियंत्रित करते हैं।इसी के साथ हमें सुखानुभूति कराने वाले एक हारमोन डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है। यह एक न्यूरो -ट्रांस्मीटर ,दिमागी जैव रसायन है लम्बी दौड़ के बाद धावक इसकी लोडिंग होने की वजह से ही बेहद के आकस्मिक सुख और चैन का अनुभव करता है। डोपामाइन अभिग्राही(Dopamine Receptor Cells ) होते हैं हमारे दिमाग में -कई मनो -रोगों के प्रबंधन में या तो इन अभिग्राहियों को उत्तेजित किया जाता है ताकि ये उपलब्ध डोपामाइन से ज्यादा मात्रा इसकी बनाये या फिर इनका शमन किया जाता है ताकि मरीज़ की अतिरिक्त उत्तेजना शांत हो जाए और ये अभिग्राही इसकी कमतर मात्रा तैयार करें।
इन चर्चित लेकिन विवाद में आईं दवाओं के लगातार इस्तेमाल से दिमाग और ज्यादा फिर और भी ज्यादा मात्रा की मांग करने लगता है इन दवाओं से पैदा उतनी ही सुखानुभूति के लिए। दर्द से राहत तो एक बोनस है ही।
ओपिऑइड्स दर्दनाशी भी दो तरह के हैं एक इमीडियेट रिलीज़ और एक एक्सटेंडेड रिलीज़ जिनका स्राव तो धीरे -धीरे होता है लेकिन असर देर तक बना रहता है एफडीए चाहता है पूरा ब्यौरा इनसे होने वाले नुकसानों का अनचाहे प्रभावों का ,पार्श्व प्रभावों का ,साइड इफेक्ट्स का दिया जाए। अकसर बालकों को टॉन्सिल्स और अडेनोइड की शिकयात रहती है संक्रमण बारहा होने पर शल्य के द्वारा इन्हें हटा दिया जाता है। इन मामलों में दर्द के प्रबंधन के लिए ओपिऑइड्स युक्त दर्दनाशी दिए जाते रहें हैं।
यहां पर खतरा यह है के बारह साल से कम उम्र के बालकों में कोडीन और ट्रामाडोल का इस्तेमाल जानलेवा ब्रीथिंग प्रॉब्लम की वजह बन सकता है। इसीलिए पूर्व में २०१३ में और बाद इसके ,२०१५ और २०१७ में भी एफडीए ने इसी आशय की सिफारिशें की हैं।
बालरोगों से ताल्लुक रखने वाली एक पत्रिका जर्नल आफ पीडियाट्रिक्स में एक ऐसे अध्ययन के नतीजे सामने आये हैं जिसमें कुलमिलाकर ३,६२ ,९९२ (तीन लाख बासठ हज़ार नौ सौ बानवें 3,62 ,992 )ऐसे नौनिहाल शामिल रहें हैं जिन्होंने निजीबीमा करवा रखा था। पता चला उल्लेखित सर्जरी के बाद दिसंबर २०१५ में भी बीस में से एक बालक को ये दवाएं नुस्खों में लिखी गईं ,दी गईं। एफडीए ने उन महिलाओं को भी इनके इस्तेमाल के प्रति आगाह किया है जो अभी अपने शिशुओं को अभी स्तन पान करवातीं हैं।
ऐसे में सारी खबरदारी माँ बाप पर आ पड़ती है। वह निगाह रखें नुस्खों पर लिखी गईं दवाओं में मौजूद साल्ट्स पर।दवाओं के घटकों पर।इनके अलावा भी दवाएं हैं सर्दीजुकाम फ्लू की ,tonsillectomies और adenoidectomies के बाद दी जाने वाली दर्द-हर दवाएं और भी हैं। उन्हें आज़माएँ।
मूल आलेख अंग्रेजी में भी दिया जा रहा है :
Reference Materaial :http://www.cnn.com/2018/01/11/health/opioid-cough-syrup-children-fda-bn/index.html
किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से नुकसानी फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़ सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के जो कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने।
दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्थ )हमारे दिमाग के उन हिस्सों से रासायनिक तौर पर जल्दी बंध जाते हैं जो हमारे संवेगों और पीड़ा को नियंत्रित करते हैं।इसी के साथ हमें सुखानुभूति कराने वाले एक हारमोन डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है। यह एक न्यूरो -ट्रांस्मीटर ,दिमागी जैव रसायन है लम्बी दौड़ के बाद धावक इसकी लोडिंग होने की वजह से ही बेहद के आकस्मिक सुख और चैन का अनुभव करता है। डोपामाइन अभिग्राही(Dopamine Receptor Cells ) होते हैं हमारे दिमाग में -कई मनो -रोगों के प्रबंधन में या तो इन अभिग्राहियों को उत्तेजित किया जाता है ताकि ये उपलब्ध डोपामाइन से ज्यादा मात्रा इसकी बनाये या फिर इनका शमन किया जाता है ताकि मरीज़ की अतिरिक्त उत्तेजना शांत हो जाए और ये अभिग्राही इसकी कमतर मात्रा तैयार करें।
इन चर्चित लेकिन विवाद में आईं दवाओं के लगातार इस्तेमाल से दिमाग और ज्यादा फिर और भी ज्यादा मात्रा की मांग करने लगता है इन दवाओं से पैदा उतनी ही सुखानुभूति के लिए। दर्द से राहत तो एक बोनस है ही।
ओपिऑइड्स दर्दनाशी भी दो तरह के हैं एक इमीडियेट रिलीज़ और एक एक्सटेंडेड रिलीज़ जिनका स्राव तो धीरे -धीरे होता है लेकिन असर देर तक बना रहता है एफडीए चाहता है पूरा ब्यौरा इनसे होने वाले नुकसानों का अनचाहे प्रभावों का ,पार्श्व प्रभावों का ,साइड इफेक्ट्स का दिया जाए। अकसर बालकों को टॉन्सिल्स और अडेनोइड की शिकयात रहती है संक्रमण बारहा होने पर शल्य के द्वारा इन्हें हटा दिया जाता है। इन मामलों में दर्द के प्रबंधन के लिए ओपिऑइड्स युक्त दर्दनाशी दिए जाते रहें हैं।
यहां पर खतरा यह है के बारह साल से कम उम्र के बालकों में कोडीन और ट्रामाडोल का इस्तेमाल जानलेवा ब्रीथिंग प्रॉब्लम की वजह बन सकता है। इसीलिए पूर्व में २०१३ में और बाद इसके ,२०१५ और २०१७ में भी एफडीए ने इसी आशय की सिफारिशें की हैं।
बालरोगों से ताल्लुक रखने वाली एक पत्रिका जर्नल आफ पीडियाट्रिक्स में एक ऐसे अध्ययन के नतीजे सामने आये हैं जिसमें कुलमिलाकर ३,६२ ,९९२ (तीन लाख बासठ हज़ार नौ सौ बानवें 3,62 ,992 )ऐसे नौनिहाल शामिल रहें हैं जिन्होंने निजीबीमा करवा रखा था। पता चला उल्लेखित सर्जरी के बाद दिसंबर २०१५ में भी बीस में से एक बालक को ये दवाएं नुस्खों में लिखी गईं ,दी गईं। एफडीए ने उन महिलाओं को भी इनके इस्तेमाल के प्रति आगाह किया है जो अभी अपने शिशुओं को अभी स्तन पान करवातीं हैं।
ऐसे में सारी खबरदारी माँ बाप पर आ पड़ती है। वह निगाह रखें नुस्खों पर लिखी गईं दवाओं में मौजूद साल्ट्स पर।दवाओं के घटकों पर।इनके अलावा भी दवाएं हैं सर्दीजुकाम फ्लू की ,tonsillectomies और adenoidectomies के बाद दी जाने वाली दर्द-हर दवाएं और भी हैं। उन्हें आज़माएँ।
मूल आलेख अंग्रेजी में भी दिया जा रहा है :
Cough and cold medicines containing opioid ingredients, such as codeine or hydrocodone, should no longer be given to children of any age, according to the US Food and Drug Administration.
The FDA announced Thursday that it's requiring revisions to the safety labeling on such prescription opioid cough and cold medicines to indicate that the products no longer can be used to treat children -- because their risks outweigh their potential benefits -- and should be used only for adults 18 and older.
Labeling changes also address safety information for adults, including an expanded boxed warning indicating the risks of using opioid medications, such as misuse, abuse, addiction, overdose and death.
The revised safety warnings on these products will be consistent with the labeling of other opioid-containing drug products, such as immediate-release opioid analgesics and extended-release and long-acting opioid analgesics, according to the FDA.
"Given the epidemic of opioid addiction, we're concerned about unnecessary exposure to opioids, especially in young children. We know that any exposure to opioid drugs can lead to future addiction," FDA Commissioner Dr. Scott Gottlieb said in an announcement on the FDA's website.
"It's become clear that the use of prescription, opioid-containing medicines to treat cough and cold in children comes with serious risks that don't justify their use in this vulnerable population," he said. "It's critical that we protect children from unnecessary exposure to prescription cough medicines containing codeine or hydrocodone. At the same time we're taking steps to help reassure parents that treating the common cough and cold is possible without using opioid-containing products."
In 2013, the FDA issued a public warning and implemented a "black box warning" -- the strongest safety statement -- against prescribing codeine to children for pain management after having their tonsils or adenoids surgically removed.
Though the FDA's warning substantially decreased codeine prescriptions among children after tonsillectomies or adenoidectomies, about one in 20 kids undergoing those surgeries still was prescribed codeine in December 2015, despite safety concerns and efficacy issues, according to a study published in the journal Pediatrics in November.
The study included data on 362,992 privately insured children who had undergone those surgical procedures.
In 2015, the FDA also announced an investigation into the possible risks of using codeine-containing medicines to treat coughs and colds in children under 18.
Then, last year, the agency warned that the opioids codeine and tramadol could cause life-threatening breathing problems in children and strengthened drug labeling to restrict their use in children younger than 12.
The FDA also recommended against the use of these medications by women who are breastfeeding.
Gottlieb said in a statement in August that the FDA would be meeting with the Pediatric Advisory Committee to further evaluate the use of prescription opioid products containing hydrocodone or codeine to treat cough in children.
Now, the FDA's latest action to revise safety labeling on some prescription cough and cold products expands the pediatric restrictions that were previously in place.
Parents whose children are currently prescribed a cough and cold medicine containing codeine or hydrocodone are encouraged to talk to their child's health care professional about other treatment options, the FDA advised.
The agency also noted that some products sold over-the-counter in a few states may contain codeine or may not be appropriate for young children, so it's important to check the labels.
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