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मूल्य विहीन 'विषकन्या -कांग्रेस' भारत को कैटिल डेमोक्रेसी बनाने पर आमादा है

'विषकन्या -कांग्रेस 'के एक चाटुकार प्रवक्ता  अमित शाह के  प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए वक्तव्य पर टिपण्णी करते हुए कह रहे थे- 'खिसियानी बिल्ली खम्भा नौंचे' अमित शाह ने कहा था -'कांग्रेस ने पूरे   अस्तबल का ही अपहरण कर लिया।' अपने  सारे विधयाकों को पंचतारा होटल में बंद कर दिया।वो बाहर होते तो 'कर -नाटक ' कुछ और होता। लगता है इन चाटुकार महोदय को हिंदी मुहावरों का अर्थ ही नहीं मालूम। बिल्ली खम्भा तब नौंचती है जब वह अपना शिकार न पकड़ पाए और वह  खम्भे के पास बैठी  हो। लगता है निरानन्द शर्मा चाटुकारिता करते करते भाषा भी भूल गए जबकि जिसे जनता बुद्धू कहती है वह कमसे कम बोलना  तो सीख ही गया। लगता है मनुष्य के भेष में  चाटुकार प्रवक्ता साक्षात लंगूर हैं जो खम्भे पे ही चढ़के  बैठ गया है। ऊपर से ये तुर्रा के बीजेपी माफ़ी मांगे कर्नाटक की जनता से।  ये तो वह बात हो गई जो छात्र यूनिवर्सिटी में फस्ट आया है वह सबसे माफ़ी मांगे। और कांग्रेस रिरियाके अपने से भी कम सीट पाने वाली जेडीयू को विजयी घोषित कर दे खुद अपनी चालीस सीटें गँवा के।किस...

चार उचक्के चालीस चोर :डॉ वागीश मेहता ,प्रमुख ,भारत धर्मी समाज

आज संसद को जिस तरह ठप्प किया जा रहा है उससे सारा देश विक्षुब्ध है। भारत धर्मी समाज का मन उद्वेलित है। केवल चंद जेहादी तत्व खुश हैं। कौन करवा रहा है संसद ठप्प पूरा देश जानता है। व्यथित मन की संवेदना फूटी है कविता बनकर डॉ वागीश मेहता ,प्रमुख ,भारत धर्मी समाज के मुखारविंद से : चार उचक्के चालीस चोर          (१) संसद ठप्प करने का काम , कैसा आसन कौन प्रधान , चार उचक्के चालीस चोर , ढप ढप करते फटे हैं ढोल , किसी और की बात न सुनते , शोर - शोर बस केवल शोर .             (२) खड़खड़ करता दुःशासन है , बेबस द्रुपद -सुता संसद है , एक इंच भी नहीं हटूंगा , दुर्योधन का अड़ियलपन है , गांधारी मुस्काती मन -मन , धृतराष्ट्र भी खूब मगन है।          (३) शोर शराबे  की मस्ती है , तर्क नियम की क्या हस्ती है , पंद्रह मिनिट मैं बोल पड़ा तो , संसद की तो क्या गिनती है , मन मारे अब विदुर मौन हैं , मौन पितामह द्रोण मौन हैं , शकुनि ने फेंके हैं पासे , सबकी अटक गईं हैं साँसें।     ...