सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

What is sudden cardiac death ?(HINDI )


Copy pest है थोड़ी लंबी भी है लेकिन जीवन के सन्दर्भ में उपयोगी है कृपया पूरा ज़रूर पढ़ें
मेरी आज की पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़िएगा। आप इसे और लोगों से साझा भी कीजिएगा। आज की पोस्ट सिर्फ पोस्ट नहीं, बल्कि एक ऐसी जानकारी है जिसे हम सबको जानना और समझना चाहिए।
आपने खबर पढ़ी होगी कि दो दिन पहले उत्तराखंड के एक आईएएस अधिकारी नोएडा के मॉल में अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ खाना खा रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। 39 साल के इस आईएएस अधिकारी का नाम था- अक्षत गुप्ता। ये उधमसिंह नगर में कलेक्टर थे।
इनकी पत्नी भी आईपीएस अधिकारी हैं और ये परिवार उत्तराखंड से नोएडा घूमने-फिरने के ख्याल से आया था। यह बताने के लिए आज मैं पोस्ट नहीं लिख रहा कि वो कितने लोकप्रिय अधिकारी थे, कितनी मेहनत करके वो आईएएस अधिकारी बने थे, या उनके दोनों बच्चे कितने छोटे हैं। मैं आज सिर्फ अागाह करने के लिए पोस्ट लिख रहा हूं कि उस अधिकारी के साथ अचानक जो हुआ, वो किसी के साथ कभी भी कहीं भी हो सकता है।
ऐसा जब भी होता है, पहले तो सामने वाले की समझ में नहीं आता कि अचानक हुआ क्या? फिर अफरा-तफरी में जब हम मरीज़ को अस्पताल ले जाते हैं, तो पता चलता है कि उसके प्राण-पखेरू उड़ चुके हैं। डॉक्टर कहता है यह अचानक दिल का दौरा पड़ने का मामला था।
तीन साल पहले अप्रैल का महीना था और मेरे छोटे भाई के साथ एकदम ऐसी ही घटना घटी थी। वो दफ्तर में बैठा था, अचानक उसकी तबियत बिगड़ी और उसकी मृत्यु हो गई। मैं पहले भी कई बार इस बारे में आपको बता चुका हूं। फिर से बता रहा हूं कि जैसे ही मेरे भाई के साथ ऐसा हुआ, वहां मौजूद लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया था। पर क्योंकि ऐसा होने में पांच मिनट की देर भी बहुत देर होती है, इसलिए मेरा भाई नहीं बचा था।
डॉक्टर ने कह दिया कि अचानक दिल का दौरा पड़ा था।
यह गलत रिपोर्ट थी। जब भी किसी के साथ ऐसा होता है, तो उसके साथ वाले अगर चाहें, अगर बीमारी को ठीक से समझें, तो बहुत मुमकिन है कि वो बच जाए। दुनिया में कई लोग बचे भी हैं। मैं अगर यह कहूं कि एक बार जयपुर से दिल्ली आते हुए मिड-वे पर एक लड़की के साथ बिल्कुल ऐसी ही घटना घटी थी और मैं क्योंकि तब तक अपना भाई खो चुका था, और मैं इस विषय को ठीक से समझ चुका था, इसलिए वो लड़की मेरे प्राथमिक उपचार से बच गई, तो आपको यकीन करना ही पड़ेगा।
दरअसल, जब अचानक किसी के साथ ऐसा होता है, तो वह दिल का दौरा नहीं होता। यह हृदयघात कहलाता है। हार्ट अटैक और हार्ट फेल में अंतर होता है। हार्ट अटैक दिल की बीमारी होती है, पर मामले में हार्ट फेल हो जाता है। इस बीमारी का नाम होता है ‘सडेन कार्डियक अरेस्ट’।
मुझे नहीं पता कि हमारे देश के स्कूलों में इस तरह की चीजें क्यों नहीं पढ़ाई जातीं, पर विदेशों में इस बारे में लोगों को बचपन से ही खूब अागाह कर दिया जाता है।
सडेन कार्डियक अरेस्ट शब्द को आप गूगल पर टाइप करें और इस विषय में और जानकारी जुटाएं। इस जानकारी को सिर्फ अपने पास मत रखिए, उसे लोगों तक पहुंचाएं। इसका असली फायदा ही लोगों तक इस जानकारी का पहुंचने का है। सिर्फ आप इस बारे में जान कर अपना भला नहीं कर सकते।
कल्पना कीजिए कि जिस वक्त उस आईएएस अधिकारी के साथ उस रेस्त्रां में ये घटना घटी, अगर किसी व्यक्ति को इस बीमारी के विषय में पता होता, अगर खुद उनकी आईपीएएस पत्नी इस विषय में जानतीं, तो शायद वो अधिकारी बच जाता।
सडेन कार्डियक अरेस्ट कोई बीमारी नहीं है। यह हृदय घात है। कभी भी किसी का भी दिल पल भर के लिए काम करना बंद कर देता है। ठीक वैसे ही, जैसे बिना किसी वज़ह के कई बार घर की बिजली का फ्यूज़ उड़ जाता है। यह भी शरीर का फ्यूज़ उड़ने की तरह है।
जब कभी किसी को हृदय घात हो, उसकी छाती पर ज़ोर से मारना चाहिए, इतनी ज़ोर से कि चाहे पसलियां टूट जाएं, पर दिल की धड़कन दुबारा शुरू हो जाए। याद रहे, जितनी जल्दी आपकी समझ में ये बात आ जाएगी कि यह हृदय घात है, उतनी संभावना सामने वाले के बचने की होती है। एक मिनट के बाद देर होनी शुरू हो जाती है। आपको बस इसे पहचानना है कि यह सडेन कार्डियक अरेस्ट है।
ऐसा जब भी हो, आप पाएंगे कि मरीज की नब्ज रुक गई है। सांस भी रुक गई है। बस यहीं आपको डॉक्टर बुलाने से पहले प्राथमिक उपचार करने की ज़रूरत है। डॉक्टर को ख़बर करें, अस्पताल भी ले जाने की तैयारी करें, पर पहले उसकी छाती पर दोनों हाथों से जोर-जोर से मारें ताकि उसकी सांस लौट आए। ध्यान रहे, अगर सांस तुरंत लौट आती है, तो मरीज़ बच जाता है, वर्ना पाचं मिनट के बाद तो डॉक्टर भी हाथ खड़े कर लेगा। और आप इसे ईश्वर का विधान मान कर मन मसोस कर रह जाएंगे।
अमेरिका में बहुत से लोगों के साथ ऐसा होता है। वहां दुकानों, मॉल्स में ऐसी मशीन रखी रहती है, जिससे दिल को जिलाने का काम लिया जाता है। बहुत से मरीज बच जाते हैं। वहां के लोगों को इस मशीन को चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
हमारे यहां डॉक्टर केके अग्रवाल इस बीमारी को लेकर लोगों को काफी सतर्क करते हैं। वो बताते हैं कि जब भी ऐसा हो, फटाफट सावित्री आसन के ज़रिए मरीज को पहले बचाने की कोशिश करें।
याद है न सावित्री और सत्यवान की कहानी।
सत्यवान को अचानक ऐसा ही हृदयघात हुआ था और सावित्री उसकी छाती पर सिर पटक-पटक कर यमराज से अपने पति की जान लौटाने की गुहार लगा रही थी। उसने उसकी छाती पर इस कदर सिर पटका कि दिल की धड़कन दुबारा शुरू हो गई, और कहा गया कि सावित्री यमराज से अपने मर चुके पति की जान वापस ले आई।
मुझे लगता है कि यह कहानी सच्ची होगी। पर जान लौटी होगी उसके पति के थम चुके दिल पर बार-बार हुए प्रहार से। इसीलिए इसके प्राथमिक उपचार को नाम दिया गया है, सावित्री आसन। यानी जब भी आपके आसपास कहीं ऐसा हो, आपको पहली कोशिश करनी है उसकी छाती के बीच दोनों हाथों से तेज प्रहार करने की।
मुझे लगता है कि उस अधिकारी को अस्पताल ले जाने से पहले इस तरह का प्राथमिक उपचार हुआ होता तो वो बच जाता। अगर ऐसा ही फिल्मी कलाकार किसी फिल्म में करके दिखाएं तो  बड़ा काम  जाए भारत जैसे देश के लिए। जयश्रीकृष्ण !
What is sudden cardiac death  ?

दिल की लुब डुब साउंड में आकस्मिक विक्षोभ है ,अनचीन्हा अनपेक्षित, जैसे आसमान से  दबे पाँव चले  आये हों यमदूत ,आकस्मिक मौत है हृदय पेशी की। इसके मालिक की। 
Sudden cardiac death (SCD) is a sudden, unexpected death caused by a change in heart rhythm (sudden cardiac arrest). It is the largest cause of natural death in the U.S., causing about 325,000 adult deaths in the U.S. each year. SCD is responsible for half of all heart disease deaths.

How Is Sudden Cardiac Arrest Different from a Heart Attack?

यह साफ़ साफ़ दिल का दौरा नहीं है अलबत्ता दिल के दौरे के दौर में यह आकस्मिक मौत हो सकती है। 
दिल के दौरे की वजह किसी एक  या एक से ज्यादा हृद्पेशी में आया अवरोध है। यह अवरोध दिल को आक्सीजन युक्त  रक्तापूर्ति में कमी की वजह बनता है। ऐसे  यदि आक्सीजन पोषण हृदय को नहीं  मिलता है तब हृदय का वह  हिस्सा मृत हो जाता है क्षतिग्रतस्त हो जाता है।

Sudden cardiac arrest is not a heart attack (myocardial infarction) but can occur during a heart attackHeart attacksoccur when there is a blockage in one or more of the arteries to the heart, preventing the heartfrom receiving enough oxygen-rich blood. If the oxygen in the blood cannot reach the heart muscle, the heart becomes damaged.

हृदय की धौंकनी में आकस्मिक विक्षोभ जन्य मृत्यु की वजह हृदय की विद्युत् प्रणाली में यकायक होने वाली गड़बड़  का नतीजा है।इसी की  वजह से दिल की लय एक दम से टूट जाती है अनियमित हो जाती है। दिल की लुब डुब में आकस्मिक तेज़ी इसी का खुलासा है। ऐसे में निलय भी फड़फड़ाने लगते हैं। तथा शरीर को भी रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है। यही वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन है।यह वैसे ही है  जैसे कोई कहे -हाथ न मुट्ठी फड़फड़ा उठ्ठी। काम ज्यादा नतीजा कुछ नहीं किसी भी मुख्य अंग को रक्तापूर्ति नहीं हो पाती है निलय की ताबड़तोड़ फड़फड़ के  बावजूद।

Ventricular fibrillation is a heart rhythm problem that occurs when the heart beats with rapid, erratic electrical impulses. This causes pumping chambers in your heart (the ventricles) to quiver uselessly, instead of pumping blood. Sometimes triggered by a heart attack, ventricular fibrillation causes your blood pressure to plummet, cutting off blood supply to your vital organs.
Ventricular fibrillation, an emergency that requires immediate medical attention, causes the person to collapse within seconds. It is the most frequent cause of sudden cardiac death. Emergency treatment includes cardiopulmonary resuscitation (CPR) and shocks to the heart with a device called an automated external defibrillator (AED). 
In contrast, sudden cardiac arrest occurs when the electrical system to the heart malfunctions and suddenly becomes very irregular. The heart beats dangerously fast. The ventricles may flutter or quiver (ventricular fibrillation), and blood is not delivered to the body. In the first few minutes, the greatest concern is that blood flow to the brain will be reduced so drastically that a person will lose consciousness. Death follows unless emergency treatment is begun immediately.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मन फूला फूला फिरे जगत में झूठा नाता रे , जब तक जीवे माता रोवे ,बहन रोये दस मासा रे , तेरह दिन तक तिरिया रोवे फ़ेर करे घर वासा रे।

पेड़ से फल पकने के बाद स्वत : ही गिर जाता है डाल से अलग हो जाता है एक मनुष्य ही है जो पकी उम्र के बाद भी बच्चों के बच्चों से चिपका रहता है। इसे ही मोह कहते हैं। माया के कुनबे में लिपटा रहता है मनुष्य -मेरा बेटा मेरा पोता मेरे नाती आदि आदि से आबद्ध रहता है।  ऐसे में आध्यात्मिक विकास के लिए अवकाश ही कहाँ रहता है लिहाज़ा : पुनरपि जन्मम पुनरपि मरणम , पुनरपि जननी जठरे शयनम।  अनेकों जन्म बीत गए ट्रेफिक ब्रेक हुआ ही नहीं।    क्या इसीलिए ये मनुष्य तन का चोला पहना था। आखिर तुम्हारा निज स्वरूप क्या है। ये सब नाते नाती रिश्ते तुम्हारे देह के संबंधी हैं  तुम्हारे निज स्वरूप से इनका कोई लेना देना नहीं है। शरीर नहीं शरीर के मालिक  शरीरी हो तुम। पहचानों अपने निज सच्चिदानंद स्वरूप को।  अहम् ब्रह्मास्मि  कबीर माया के इसी कुनबे पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं :मनुष्य जब यह शरीर छोड़ देता है स्थूल तत्वों का संग्रह जब सूक्ष्म रूप पांच में तब्दील हो जाता है तब माँ जीवन भर संतान के लिए विलाप करती है उस संतान के लिए जो उसके जीते जी शरी...

FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI )

JAN 12 FDA strengthens warning on opioid cold medicine(HINDI ) यह आकस्मिक नहीं है गत एक पखवाड़े में अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था एफडीए ने आग्रहपूर्वक इस चेतावनी को दोहराया है ,बलपूर्वक सिफारिश भी की है के आइंदा केवल अठारह साल से ऊपर आयुवर्ग को ही सर्दीजुकाम फ्ल्यू में दी जाने वाली उन दवाओं को दिया जाए नुश्खे में लिखा जाए जो ओपिऑइड्स युक्त हैं। कुछ दवाओं के नाम भी गिनाये हैं जिनमें कोडीन ,हाइड्रोकोडॉन ,ट्रामाडोल आदि शामिल हैं।  किसी भी आयुवर्ग के बालकों के लिए इन दवाओं के इस्तेमाल से  नुकसानी  फायदे से बहुत ज्यादा उठानी पड़  सकती है।लत पड़ जाती है इन दवाओं की  और बच्चे जल्दी ही इन दवाओं के अभ्यस्त हो सकते हैं दुरूपयोग  हो सकता है इन दवाओं का ओवर डोज़ भी ली जा सकती है जिससे अमरीका भर में बेशुमार मौतें आदिनांक हो चुकीं हैं यहां तक के अंगदान बे -हिसाब हुआ है। ऑर्गन डोनर्स जैसे बारिश में गिरे हों। क्योंकि ये शव हैं उन देने वालों के  जो   कथित वैध -ओपिऑइड्स दवाओं की ओवरडोज़ के ग्रास बने। दरअसल ओपिऑइड्स (मार्फीन जैसे पदार्थ )हमा...

Demand for vitamins, zinc supplements soars in second wave. Do they help prevent Covid-19?

  There has been a spurt in panic buying of these supplements in the second wave. Multivitamins do act as antioxidants and build immunity. Here is what experts say ADVERTISEMENT Abhishek De New Delhi May 21, 2021 UPDATED: May 21, 2021 12:47 IST Several minerals and vitamins have antioxidant, immunomodulatory and antimicrobial properties (Representational/Getty images) Vitamin C, D and zinc supplements have been flying off the shelves of pharmacies as a raging second wave of Covid-19 has led to a spike in demand for immunity boosters. So much so that there are reports of several cities witnessing a shortage of the over-the-counter supplements that are taken for general well-being. Experts IndiaToday.in spoke to said multivitamins do act as antioxidants and build immunity  but there is no substantial evidence  to prove that they help prevent Covid-19. The spurt in panic buying of these supplements is also sometimes driven by unproven social media messages that they boost im...