what is internet emission or internet carbon footprint ?
किसी भी चीज़ को काम करने के लिए एनर्जी चाहिए क्या आप भूखे पेट काम कर सकते हैं ?कहा भी गया है -भूखे भजन न होय गोपाला ,ये ले अपनी कंठी माला। ज़ाहिर है इंटरनेट को भी काम करने के लिए ब्राउज़र से सर्च इंजिन को कामकाजी बनाने के लिए एनर्जी चाहिए -बिजली चाहिए। इंटरनेट की बैटरी चंद घंटे ही एक बार चार्ज करने पर काम करती है फिर उसे भी चार्ज करना पड़ता है। भले अब गूगल क्रोम बुक या आलादर्ज़े के हल फुलके उठाऊ लेप टॉप चलन में हैं लेकिन सबको ऊर्जा चाहिए। परपिचुअल मोशन मशीन इज़ ए होली ग्रेल ऑफ़ फ़िज़िक्स।
ज़ाहिर है इंटरनेट का अपना कार्बन फुट प्रिंट कार्बन एमीशन या कार्बन उत्सर्जन है अनुमान लगाया गया है एक वेब सर्च का मतलब है एक केतली पानी गर्म करने के बराबर बिजली खा जाना आखिर इलेक्ट्रिक केटिल आज एक आम इस्तेमाल की चीज़ बन गई है झटपट पानी गर्म करने का। नेस्ले मिल्क और टी बैग्स और बस थोड़ी सी शक्कर (जेग्गरी पाउडर )और बेहतरीन ज़ायकेदार चाय तैयार इस सर्द मौसम में राहत।
Every time i use the search engine i emit green house gas carbon dioxide.
अब भले ये फेसबुक पर स्टेटस अपडेट हो या दोस्त को भेजा ईमेल प्रदूषण तो बढ़ाएगा -यही है इंटरनेट पोलुशन। बैंक में आप जाते हैं पता चलता है सर्वर डाउन है बे -चारा सर्वर कितना आकंड़ा 24x7x365 मुहैया करवाए और कई तो कई कई सर्च इंजिन लिए रहते हैं मानो यह भी आपका सोशल स्टेटस सामाजिक रूतबा मान -मर्यादा के तहत है जो जितना बड़ा नेट -पोलुटर उतना ही कदकाठी का आदमी समझा गया है।
२०१८ के एक अनुमान के अनुसार सूचना और संचार -सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी -इन्फर्मेशन एंडकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजीज़ कुल ग्लोबी ऊर्जा खपत का चार फीसद थी। दूसरे शब्दों में कहे तो यह भूमंडलीय स्तरों पर कुल ग्रीन हाउस गैस एमिशन का चार फीसद थी। इस खपत में सालाना पांच से सात फीसद का इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी )निरंतर हो रही है।
एक मेगा-बाइट ईमेल अपने पूरे जीवन काल में २० ग्राम कार्बन -डाई -आक्साइड छोड़ देती है। दूसरे शब्दों में इसे यूं समझ लीजिये एक साठ वाट का बल्ब इलेक्ट्रिक लेम्प आप सिर्फ पच्चीस मिनिट के लिए जला रहे हैं।
मान लीजिये आप दिन भर में २० ईमेल भेजते हैं तब एक साल में आप १००० किलोमीटर दूरी तक कार चला ने के बराबर ग्रीन हाउस गैस खर्च करते हैं।
किसी भी चीज़ को काम करने के लिए एनर्जी चाहिए क्या आप भूखे पेट काम कर सकते हैं ?कहा भी गया है -भूखे भजन न होय गोपाला ,ये ले अपनी कंठी माला। ज़ाहिर है इंटरनेट को भी काम करने के लिए ब्राउज़र से सर्च इंजिन को कामकाजी बनाने के लिए एनर्जी चाहिए -बिजली चाहिए। इंटरनेट की बैटरी चंद घंटे ही एक बार चार्ज करने पर काम करती है फिर उसे भी चार्ज करना पड़ता है। भले अब गूगल क्रोम बुक या आलादर्ज़े के हल फुलके उठाऊ लेप टॉप चलन में हैं लेकिन सबको ऊर्जा चाहिए। परपिचुअल मोशन मशीन इज़ ए होली ग्रेल ऑफ़ फ़िज़िक्स।
ज़ाहिर है इंटरनेट का अपना कार्बन फुट प्रिंट कार्बन एमीशन या कार्बन उत्सर्जन है अनुमान लगाया गया है एक वेब सर्च का मतलब है एक केतली पानी गर्म करने के बराबर बिजली खा जाना आखिर इलेक्ट्रिक केटिल आज एक आम इस्तेमाल की चीज़ बन गई है झटपट पानी गर्म करने का। नेस्ले मिल्क और टी बैग्स और बस थोड़ी सी शक्कर (जेग्गरी पाउडर )और बेहतरीन ज़ायकेदार चाय तैयार इस सर्द मौसम में राहत।
Every time i use the search engine i emit green house gas carbon dioxide.
अब भले ये फेसबुक पर स्टेटस अपडेट हो या दोस्त को भेजा ईमेल प्रदूषण तो बढ़ाएगा -यही है इंटरनेट पोलुशन। बैंक में आप जाते हैं पता चलता है सर्वर डाउन है बे -चारा सर्वर कितना आकंड़ा 24x7x365 मुहैया करवाए और कई तो कई कई सर्च इंजिन लिए रहते हैं मानो यह भी आपका सोशल स्टेटस सामाजिक रूतबा मान -मर्यादा के तहत है जो जितना बड़ा नेट -पोलुटर उतना ही कदकाठी का आदमी समझा गया है।
२०१८ के एक अनुमान के अनुसार सूचना और संचार -सम्प्रेषण प्रौद्योगिकी -इन्फर्मेशन एंडकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजीज़ कुल ग्लोबी ऊर्जा खपत का चार फीसद थी। दूसरे शब्दों में कहे तो यह भूमंडलीय स्तरों पर कुल ग्रीन हाउस गैस एमिशन का चार फीसद थी। इस खपत में सालाना पांच से सात फीसद का इज़ाफ़ा (बढ़ोतरी )निरंतर हो रही है।
एक मेगा-बाइट ईमेल अपने पूरे जीवन काल में २० ग्राम कार्बन -डाई -आक्साइड छोड़ देती है। दूसरे शब्दों में इसे यूं समझ लीजिये एक साठ वाट का बल्ब इलेक्ट्रिक लेम्प आप सिर्फ पच्चीस मिनिट के लिए जला रहे हैं।
मान लीजिये आप दिन भर में २० ईमेल भेजते हैं तब एक साल में आप १००० किलोमीटर दूरी तक कार चला ने के बराबर ग्रीन हाउस गैस खर्च करते हैं।
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