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जुलाई, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Rahul-s-hug-and-wink-a-mockery-of-democracy

A lot has been written and debated about the recent no-confidence motion in the Indian Parliament on July 20, 2018. Even more has been discussed about the behavior and antics of Rahul Gandhi. But let us take a step back and understand what exactly transpired on Friday July 20. As per the dictionary, a motion of no-confidence is a statement or vote which states that a person(s) in a position of responsibility is no longer deemed fit to hold that position, perhaps because they are inadequate in some respect, are failing to carry out obligations, or are making decisions that other members feel is detrimental. These are serious charges. As a parliamentary motion, a no-confidence move tells to the head of state that the elected parliament no longer has confidence in (one or more members of) the appointed government. A no-confidence motion is directed against the cabinet and if it is supported by most of the members of the Parliament (Lok Sabha in the case of India), the Government is bou

मन फूला फूला फिरे जगत में झूठा नाता रे , जब तक जीवे माता रोवे ,बहन रोये दस मासा रे , तेरह दिन तक तिरिया रोवे फ़ेर करे घर वासा रे।

पेड़ से फल पकने के बाद स्वत : ही गिर जाता है डाल से अलग हो जाता है एक मनुष्य ही है जो पकी उम्र के बाद भी बच्चों के बच्चों से चिपका रहता है। इसे ही मोह कहते हैं। माया के कुनबे में लिपटा रहता है मनुष्य -मेरा बेटा मेरा पोता मेरे नाती आदि आदि से आबद्ध रहता है।  ऐसे में आध्यात्मिक विकास के लिए अवकाश ही कहाँ रहता है लिहाज़ा : पुनरपि जन्मम पुनरपि मरणम , पुनरपि जननी जठरे शयनम।  अनेकों जन्म बीत गए ट्रेफिक ब्रेक हुआ ही नहीं।    क्या इसीलिए ये मनुष्य तन का चोला पहना था। आखिर तुम्हारा निज स्वरूप क्या है। ये सब नाते नाती रिश्ते तुम्हारे देह के संबंधी हैं  तुम्हारे निज स्वरूप से इनका कोई लेना देना नहीं है। शरीर नहीं शरीर के मालिक  शरीरी हो तुम। पहचानों अपने निज सच्चिदानंद स्वरूप को।  अहम् ब्रह्मास्मि  कबीर माया के इसी कुनबे पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं :मनुष्य जब यह शरीर छोड़ देता है स्थूल तत्वों का संग्रह जब सूक्ष्म रूप पांच में तब्दील हो जाता है तब माँ जीवन भर संतान के लिए विलाप करती है उस संतान के लिए जो उसके जीते जी शरीर छोड़ जाए। बहना दस माह तक और स्त्री तेरह दिन तक। उसके

What is in soda?(HINDI )

किसे कहते हैं सोडा (बचपन में जिसे हम सोडा वाटर कहते थे ,वो ही कंचे वाली सेक्रीन के पानी से भरी बोतल  ?)?क्या हैं इसके घटक ?क्या है इसका  आवयिक संगठन ,रासायनिक स्वरूप हमारी सेहत के लिए मुफीद है ?आइये जानने की एक कोशिश कर लेते हैं : पानी और कार्बन डायऑक्साइड का बाहुल्य तो यहां है ही। इसी की वजह से यह सोडा सनसनाता हुआ फेनिल पेय बन जाता है। इसके अन्य घटकों में शुगर(परिष्कृत चीनी ) या फिर  कॉर्नसिरप (corn syrup )तथा फॉस्फोरिक एसिड शामिल रहते हैं। अलबत्ता इसमें रंग (रंजक,कलरिंग एजेंट्स  )भी मिलाये जाते हैं।  कैफीन सोडा का एक और घटक है। आइये अब एक  एक करके इन घटकों की   विवेचना करते हैं : (१)सुगर या हाई -फ्रुक्टोज़ कॉर्नसिरप (HIGH FRUCTOSE CORN SYRUP, HFCS):शक़्कर से कहीं सस्ता पड़ता है निर्माताओं  को ये कॉर्नसिरप। देखभाल के ख़रीदिए ब्रेकफास्ट सीरियल्स या अन्य ऐसे ही खाद्य जो मिठास से भरपूर होते हैं देखिये कहीं उसमें ये सिरप तो नहीं है जो शक़्कर और वसा (sugar and fats )के अपचयन(metabolism ) में दखल देता है खलल डालता है। मोटापे की वजह बनता है। अनेक अध्ययनों में इसे हृद रोगों के खतरे के वजन को

Drug Addiction :Promethazine with Codeine Cough Syrup(HINDI )

गत चालीस बरसों की विज्ञान रिपोर्टिंग में कई मर्तबा मुझे पता चला कितने ही लोग कुछ आयुर्वेदिक तथा एलोपैथिक दवाओं का इस्तेमाल नशा पत्ता (Substance Abuse )के रूप में करने लगते हैं। कई मामले मृत्यु संजीवनी आसव तथा कफ़सीरप से जुड़े दिखाई दिए। नशे की लत पड़ जाती है इन दवाओं के गलत इस्तेमाल से : १९९० के दशक के प्रारम्भिक बरसों में इस सब की शुरुआत होती देखी  गई।  Promethazine with Codeine Cough Syrup नशेड़ियों ने कोडीन आधारित कफ सीरपों को एलर्जीरोधी(antihistamines ) पदार्थों खासकर प्रोमिथाज़िन के साथ संयुक्त करके इनका इस्तेमाल कोला पेयों (आम भाषा में सोडा )के साथ करना शुरू किया।  इनमें से कई आज न सिर्फ अपनी जैव घड़ी  में विक्षोभ पैदा कर चुके हैं गृहस्थी से भी ये अलग थलग पड़ गए हैं। इनका अपना कैज़ुअल है निस्संग।  नशीले  पदार्थों की कॉकटेल का चलन आदिम काल से रहा आया है। ऐसे में इनके अनजाने में ही अतिरिक्त इस्तेमाल के जोखिम का वजन लगातार  बढ़ता गया है।  अफीम जैसा नशीला पदार्थ है कोडीन। इसका इस्तेमाल फ्लू के उन मामलों के  प्रबंधन में होता रहा है जिनमें खाँसना खासा तकलीफदेह साबित हो जाता है

6 Harmful Effects of Drinking Coca Cola (Coke) or Pepsi)(HINDI)

पेप्सी बोली सुन कोककोला , भारत का इंसान है भोला। विदेश से मैं आईं हूँ , मौत साथ में लाईं हूँ। लहर नहीं ज़हर हूँ मैं , गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं। पीएच मान मेरा दो पाइंट सात , गिरें जो मुझमें गल जाएँ दांत। ज़िंक आर्सेनिक लेड हूँ मैं , काटे आँतों को वो ब्लेड हूँ मैं। दूध मुझसे बहुत ,सस्ता है , पीये मुझे जो उसकी हालत खस्ता है। ५४० करोड़ कमाती हूँ , विदेश में ले जाती हूँ। मैं पहुंची हूँ आज वहां पर , पीने को नहीं जल भी जहां पर। महंगा पानी मैं सस्ती हूँ , रहती अपनी मस्ती मैं हूँ। छोड़ नकल अब अक्ल से जियो , ' जो भी पियो भाई सम्भलके पियो। नीम्बू नीर पियो मेरे भैया , छोड़ पेप्सी कोक मेरे भैया। पार लगेगी तुमरी नैया। सबका है यहां कृष्ण खिवैया। यकीन मानिये प्यास शीतल जल से ही बुझती है चीनी भरी सोडा उसे भड़काती है। फिर दिल करता है जल मिल जाए शुद्ध शीतल जल घड़े सुराही का ठंडा पानी।  याद रखिये : (१ )कैफीन ,एसपारटेम ,और परिष्कृत शक्कर (शुगर )की तिकड़ी का डेरा है इन पेयों में ,जो अपेय ही कहे जायेंगे।इनमें से एसपारटेम अनेक रोगों की वजह बनता देखा

Air pollution is triggering diabetes in 3.2 million people each year

New study quantifies the link between smoggy air and diabetes एक अभिनव अनुमान  के अनुसार बरस २०१६ में दुनियाभर में कुल मिलाकर डायबिटीज (जीवनशैली रोग मधुमेह )के बत्तीस लाख नए मामले दर्ज़ किए गए।  हमारी हवा में मंडराते तैरते ठोस सूक्ष्म कण हवा की गुणवत्ता को पलीता लगाते रहें  हैं चाहे फिर वह सीएनजी हो या पेट्रोल और डीज़ल चालित वाहन ,धुंआ उगलती किसी उद्योग की चिमनी हो या फ़िर हमारी हवा में सम्पन्न रासायनिक क्रियाओं से व्युत्पन्न पार्टिकुलेट फाइन मैटर।  मुद्दा ये नहीं है इनमें से कौन एक स्रोत ज्यादा कुसूरवार है ,मुद्दा हवा की छीजती गुणवत्ता के फलस्वरूप पर्यावरणी रोगों की नै सौगात :मधुमेह से जुड़ा है।  लगातार बने रहने वाले हृद रोगों एवं शक़्कर की बीमारी डायबिटीज का संबंध वायु में पसरे प्रदूषकों से साइंस न्यूज़ पहले भी बतला   चुका है। ताज़ा संदर्भित अध्ययन इसका संख्यात्मक (मात्रात्मक )कयास भर प्रस्तुत करता है  . युद्ध काल में अपने देश अमरीका की सैन्य सेवा करने वाले पुराने सिपाहियों सैन्य दिगज्जो की तकरीबन एक दशक तक जांच पड़ताल कर लेने  के बाद ही ये कयास लगाए गए हैं के इनमें से कि

Psychedelic ayahuasca works against severe depression, study finds

Psychedelic ayahuasca works against severe depression, study finds "Leon" is a young Brazilian man who has long struggled with depression. He keeps an  anonymous blog , in Portuguese, where he describes the challenge of living with a mental illness that affects some  300 million people worldwide , according to the World Health Organization. Leon is among the roughly 30 percent of those patients with  treatment-resistant depression . Available antidepressant drugs like  selective serotonin reuptake inhibitors  do not alleviate his depressed mood, fatigue, anxiety, low self-esteem and suicidal thoughts. A  new study  may offer hope for Leon and others like him. Our team of Brazilian scientists has conducted the first randomized, placebo-controlled clinical trial of ayahuasca -- a  psychedelic drink  made of Amazonian plants. The results, recently published in the journal  Psychological Medicine , suggest that ayahuasca can work for  hard-to-treat depre