सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अक्तूबर, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब'

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में मंगलवार को वायु गुणवत्ता का स्तर 'अति खराब' स्तर पर पहुंच गया। रातों-रात प्रदूषण में हुई वृद्धि के कारण शहर में धुंध छाई हुई है। शहर में मंगलवार की सुबह धुंध की एक मोटी परत छाई रही, जिससे दृश्यता प्रभावित हुई। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि एक दो दिनों में स्मॉग की शुरुआत हो जाएगी। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अध्यक्ष के.जी. रमेश ने आईएएनएस को बताया, "जब तक ओजोन में सुधार नहीं होता, तब तक यह धुंध बरकरार रहेगी।" धुंध पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) पर पड़ने वाले सूर्य का प्रकाश का प्रतिबिम्ब है। स्मॉग, नमी व पीएम का मिश्रण है, इसमें सीमित दृश्यता होती है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शाम तीन बजे तक 401 दर्ज किया गया, जिसे 'अति खराब' माना जाता है। पीएम की मात्रा सुबह नौ बजे से ही 'अति खराब' स्तर से अधिक पाई गई थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, वायु गुणवत्ता एक नवंबर से और बिगड़ती जाएगी और इ

Gavin Schmidt writes,"The conclusions are inescapable :without human activities the planet would not have warmed over the past century"

How Scientists Cracked the Climate Change Case The biggest crime scene on the planet is the planet. We know the earth is warming, but who or what is causing it? By  Gavin Schmidt Dr. Schmidt is the director of the NASA Goddard Institute for Space Studies. Credit Credit Emilia Miękisz The  latest report  from the world’s climate scientists has made clear the size of the challenge if the world is to stay below the global warming limit hoped for in the  Paris climate agreement . Unfortunately, with current trends we are likely to cross this threshold within the next two decades because we are already two-thirds of the way there. But how do we know what is driving these climate trends? It comes down to the same kind of detective work that typifies a crime scene investigation, only here we are dealing with a case that encompasses the whole world. Let me give you my view, which does not necessarily represent the position of NASA or the federal government. F

What is sudden cardiac death ?(HINDI )

Jai Prakash  is with  Swarajya Krishna Dalela  and  39 others . June 12, 2016  ·  Copy pest है थोड़ी लंबी भी है लेकिन जीवन के सन्दर्भ में उपयोगी है कृपया पूरा ज़रूर पढ़ें मेरी आज की पोस्ट को बहुत ध्यान से पढ़िएगा। आप इसे और लोगों से साझा भी कीजिएगा। आज की पोस्ट सिर्फ पोस्ट नहीं, बल्कि एक ऐसी जानकारी है जिसे हम सबको जानना और समझना चाहिए। आपने खबर पढ़ी होगी कि दो दिन पहले उत्तराखंड के एक आईएएस अधिकारी नोएडा के मॉल में अपनी पत्नी और दो छोटे बच्चों के साथ खाना खा रहे थे, तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मृत्यु हो गई। 39 साल के इस आईएएस अधिकारी का नाम था- अक्षत गुप्ता। ये उधमसिंह नगर में कलेक्टर थे। इनकी पत्नी भी आईपीएस अधिकारी हैं और ये परिवार उत्तराखंड से नोएडा घूमने-फिरने के ख्याल से आया था। यह बताने के लिए आज मैं पोस्ट नहीं लिख रहा कि वो कितने लोकप्रिय अधिकारी थे, कितनी मेहनत करके वो आईएएस अधिकारी बने थे, या उनके दोनों बच्चे कितने छोटे हैं। मैं आज सिर्फ अागाह करने के लिए पोस्ट लिख रहा हूं कि उस अधिकारी के साथ अचानक जो हुआ, वो किसी के सा

The Karmic Principle ,Planetary positions and Impressions (Sanskars)

कर्म प्रधान विश्व  रची राखा , जो जस करहि सो तस फल चाखा।  कर्म को प्रधानता देते हुए ही इस विश्व की रचना हुई है चाहे उस रचना प्रक्रिया को आप कॉस्मिक डांस आफ क्रिएशन कहिये ,शिव का तांडव नृत्य कहिये या फिर बिग बैंग या फिर कुछ और।प्रकृति कहिये या माया वह जीव से  कर्म करवा ही लेती है। कर्म का फल मिलता है। यह फल भी और कर्मों की वजह बन जाया करता है। इस प्रकार कर्म चक्र चलता है : पुनरपि जन्मम पुनरपि मरणम , पुनरपि जननी जठरे शयनम।  काल -चक्र कर्म- चक्र ही है। एक क्रिया है तो दूसरा 'चक्र' प्रतिक्रिया।  कुछ कर्मों का फल इस जीवन में ही मिल जाया करता है शेष कर्म संचित अवस्था में चले जाते हैं। आगे पीछे इस या उस जन्म में उनका फल मिलता अवश्य है।  जिनका फल इसी जीवन के रहते मिल जाता है वह 'क्रियमाण -कर्म' कहलाते हैं। शेष 'संचित -कर्म'। इन संचित कर्मों का ही जो हिस्सा 'प्रारब्ध' बन जाता है जीव उसे ही लेकर इस संसार में आता है अब आप उसे संचित कर्म फल कहो या प्रारब्ध या भाग्य। मतलब सबका एक ही निकलता है। वर्तमान में इस जीवन में कुछ कर्म फल हमें भोगने ही हैं। हम कहाँ और क