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How Corona Virus Infects :होली ग्रेल ऑफ़ मेडिसिन बनी हुई है जीवन रक्षक कोरोना वेक्सीन

होली ग्रेल ऑफ़ मेडिसिन बनी हुई है जीवन रक्षक कोरोना वेक्सीन

परम्परा और गैर -परम्परा गत तरीके दुनिया भर के साइंसदानों विषाणु विज्ञान के माहिरों द्वारा  परस्पर सहयोग से आजकल आज़माये जा रहें हैं। कामयाबी भी ज़रूर मिलेगी। हर चीज़ का समय मुक़र्रर है।

जानने समझने की कोशिश करते  हैं कैसे यह बहरूपिया सार्स -कोव -२ वाइरस हमारे शरीर को संक्रमित करता है। नौ दरवाज़ों वाला घर है हमारा यह पंचभूता शरीर:आँख (२ )कान(२ ) नाक(२  नासिका विवर नथुने नोस्ट्रिल्स ) मुख(१ )  गुदा(१ )जननअंग (१ ).

हमारी आँख ,कान और या  नाक के द्वारा ये हमारे शरीर में दाखिल होता है।एयरवेज  (श्वसनी मार्ग ) की कोशिकाओं से चस्पां हो जाता है। ये कोशिकाएं एक प्रोटीन बनातीं हैं ACE-2 (यही अभिग्राही रिसेप्टर है सार्स -कोव -२ ).

यहां यह विषाणु अपनी  तैलीय मेम्ब्रेन को इन रिसेप्टर्स के साथ जुड़कर उसका  ही हिस्सा हो जाता है। अपने आनुवंशिक पदार्थ RNA (राइबो -न्यूक्लिक -एसिड )की एक छोटी सी कतरन छोड़ देता है।
बस एक तरह से यह अभिग्राही संक्रमण के बाद आक्रामक विषाणु की जैविक प्रतियां बनाने में रात  दिन एक कर देतीं हैं।साथ ही प्रतिरक्षा तंत्र के पहरुवों को अपने पास भी नहीं फटकने देतीं हैं ये बर्गलाई जा चुकी बौराई अभिग्राही कोशिकाएं।बहुत ही चकमेबाज़ है यह वायरस।

जैसे जैसे यह संक्रमण आगे बढ़ता है दूसरे सिरों पे मौजूद रिसेप्टर्स भी यही काम करने लगते हैं। इस प्रकार मात्र एक संक्रमित कोशिका अपनी फाइनल डेथ  से पहले इस विषाणु की लाखों -लाख़ प्रतियां बना जाती हैं।

कृपया नीचे दिया गया लिंक देखिये :
https://www.shutterstock.com/pl/search/coronavirus+infection




कृपया यह लिंक भी देखिये :https://www.rndsystems.com/resources/articles/ace-2-sars-receptor-identified

Tools to Support New Coronavirus Research
In December 2019, a distinctive coronavirus (CoV) was determined to be responsible for an outbreak of potentially fatal atypical pneumonia, ultimately defined as coronavirus disease 19 (COVID-19), in Wuhan, Hubei province, China. This novel CoV, termed severe acute respiratory syndrome (SARS)-CoV-2, was found to be similar to the CoV that was responsible for the SARS pandemic that occurred in 2002.

https://www.rekhta.org/ghazals/koii-ummiid-bar-nahiin-aatii-mirza-ghalib-ghazals

कोई उम्मीद बर नहीं आती ,कोई सूरत नज़र नहीं आती ,

मौत का एक दिन मुअय्यन है नींद क्यों रात भर नहीं आती।

भले कोई उम्मदी अब नहीं बाकी -लगता नहीं है सूरते हालात ,

सूरत -ए -कोरोना सुधरेगी , जबकि मौत का पलछिन सुनिचित है ,जब आएगी तब आएगी जो होता है वह अनहोनी नहीं होती।ये नींद कमबख्त क्यों नहीं आती।  
  

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