"ख़ामोशी शायरी के उम्दा शैर "कह रहा है मौज़ -ए -दरिया से समुन्दर का सुकून जिस में जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो खामोश है।
कह रहा है मौज़ -ए -दरिया से समुन्दर का सुकून जिस में जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो खामोश है। कह रहा है शोर - ए-दरिया से समुन्दर का सुकूत , जिसका जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो खामोश है । (नातिक़ लखनवी साहब ) The river's raging ........ मुस्तकिल बोलता ही रहा हूँ , हम लबों से कह न पाए उन से हाल -ए-दिल कभी , और वो समझे नहीं ये ख़ामशी क्या चीज़ है। शायरी :वो अपने ध्यान में बैठे अच्छे लगे हम को कह रहा है मौज -ए -दरिया से समन्दर का सुकून , जिस में जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो खामोश है . "ख़ामोशी शायरी के उम्दा शैर " Search Results Web results Top 20 Famous Urdu sher of Khamoshi Shayari | Rekhta kah rahā hai shor-e-dariyā se samundar kā sukūt. jis kā jitnā zarf hai utnā hī vo ḳhāmosh hai. the river's raging ... mustaqil boltā hī rahtā huuñ ... ham laboñ se kah na paa.e un se hāl-e-dil kabhī. aur vo samjhe nahīñ ye ḳhāmushī kyā chiiz hai ... Tags: Famous sh
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