सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अगस्त, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

The facts behind coconut oil is 'pure poison' claim(HINDI ALSO )

मिथ :नारियल का खाद्य तेल जहर खाने के समान है  यथार्थ :निस्संदेह साइनाइड विष है और इसी रूप  में रैटलस्नेक (एक प्रकार का अमरीकी विषधर जो चलते रेंगते वक्त खड़खड़ की  ध्वनि करता है )के वेनम (विष )को जाना जाता है लेकिन ठीक यही बात नारियल के तेल के बारे में कहना वैज्ञानिक सत्य नहीं है ,विज्ञान रिपोर्टिंग नहीं हैं।सनसनी है दुष्प्रचार है प्रोपेगेंडा है।   एक छोर पर उपभोक्ता है जो इसके इस्तेमाल  को सेहत के लिए अच्छा मानता है दूसरे छोर पर एक शोध करता आचार्य हैं जो इसे  खाना जहर खाने जैसा बतलाते हैं।  अब अगर इसमें संतृप्त वसाओं का स्तर ज्यादा है तब भी क्या यह कहना समीचीन होगा के इसका खाद्य रूप में सेवन उपभोक्ता के लिए  जहर समान है ?हमारा उत्तर है नहीं। अलबत्ता ऐसा कहना बहुप्रचारित करना उत्तेजना पैदा करने वाला वक्तव्य ज़रूर कहा जाएगा। व्यर्थ का हो हल्ला है जो स्वास्थ्य विज्ञान के माहिरों के गले से नीचे नहीं उतरेगा। भले ३७ फीसद अमरीकी पोषणविज्ञानी  इसके पक्ष में न हों जबकि ७२ फीसद अमरीकी इसे सेहत के लिए अच्छा ही मानत...

THE HIDDEN SALT DANGERS (HINDI CONCLUDED )

भारतीय खान -पानी की आदतों में भोजन के अलावा भी घर के अंदर और बाहर अन्य कई स्रोतों से नमक दाखिल होता रहता है। गौर कीजिये, इन स्रोतों में पापड़ कचरी ,अचार,चटनियाँ , चिप्स ,चाट- पकौड़ी ,पानी -पूरी आदि तो हैं ही अलावा इसके सप्ताह में एक बार घर से बाहर किसी होटल या माल में जाकर खाने पीने का चलन लगातार बढ़ रहा है इसका नतीजा देखिये कहाँ से कितना साल्ट आपके अनजाने ही चला आ रहा है : होटल का संशाधित खाना पीना :७१ % साल्ट  कुदरती तौर पर  भोजन में मौजूद साल्ट : १४ %  घर के बनाये खाने में इसकी मात्रा :६%  खाने की मेज पर ऊपर से सलाद दही  आदि में मिलाया गया साल्ट : ५%  अन्य स्रोतों से :४% (संपन्न )

The Hydration Sweet Spot (HINDI )

ज़रुरत से कहीं ज्यादा सोडियम और बहुत कम पोटैशियम का सेवन आपके गुर्दों को आपके रक्त से कमतर तरल की निकासी करने के लिए मजबूर कर सकता है। फलतया : आपके रक्तचाप में बढ़ोतरी हो सकती है। सेहत से ताल्लुक रखने वाली एक मशहूर विज्ञान पत्रिका के सलाहकार एलन अर्गोन ऐसा मानते हैं।  Too much sodium and too little potassium may cause your kidneys to draw less fluid out of your blood ,spiking blood pressure,says Alan Aragon ,Men's Health nutrition adviser. Emerging research finds that consuming too little sodium may lead to kidney problems.Balance both to your benefit . हालिया शोध से खुलासा हुआ है सोडियम का कहीं काम सेवन गुर्दों से ताल्लुक रखने वाली कई समस्याओं की वजह बन सकता है। लिहाज़ा अति और कमीबेशी दोनों ही भली नहीं हैं भला है इन दोनों खनिजों का संतुलन।  नीचे दी गई तालिका दोनों  लवणों की आवश्यक दैनिक खपत के बारे बतलाती है। वर्तमान स्थिति और उससे निजात पाने का खान- पान संबंधी समाधान भी प्रस्तुत करती है। मूल पाठ अंग्रेजी में पढ़िए : What most men should consume :2300 mg ...

Myth # 6 Everyone needs eight glasses of water a day (HINDI PART VI )

यथार्थ : यह बात वैसे ही है जैसे कोई कहे प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन में २८०० केलोरीज़ का भोजन तो ग्रहण करना ही चाहिए। अब आपका वजन कितना है दिन भर में आप करते क्या हैं कितना सक्रिय या निट्ठल्ले रहते हैं आपके गिर्द तापमान कितना रहता है ये तमाम बातें मिलकर निर्धारित करतीं हैं के आपको दिनभर में कितना पानी पीना चाहिए ये मात्रा दो से लेकर छः क्वार्ट तक कुछ भी हो सकती है।  क्वार्ट तरल की माप बतलाता है जिसका मतलब एक चौथाई गेलन (. 94 litre )अमरीका के माप से और १.  १ लिटर ब्रितानी माप से आएगा।  जिस दिन आप किसी भी प्रकार का व्यायाम कैसी भी कसरत नहीं करते ,न सैर को निकलें हैं उस दिन अपने पेशाब के  रंग पर गौर कीजिये यह आपको लेमोनेड सा ज्यादा दिखेगा पीलाई लिए कम  पानी सा साफ़ रंगहीन कम.डार्क रंग का मतलब  अक्सर निर्जलीकरण ही होता है।  जिस दिन आपने जमके व्यायाम किया है उस दिन कसरत से पहले और बाद में लिए गए अपने ही वजन पे नज़र डालिये। भार में दिखी प्रत्येक पोंड कमी के लिए आपको हिसाब से ढाई से तीन कप पानी यानी तकरीबन २० से लेकर २४ पोंड तक तरल   ...

Myth # 5 Bananas are great for dehydration cramps (HINDI PART IV )

पानी के गिर्द रचे बसे मिथक और यथार्थ  True but there is nothing magical about bananas . केले में मौजूद पोटेशियम इसका ज़वाब हो सकता है। यह वह दूसरा इलेक्ट्रोलाइट है जो सोडियम के प्रभाव को भोथरा बना सकता है कुंद कर सकता है उसकी कमीबेशी के असर को कम कर सकता है। और किडनी की मदद लेकर उसे बाहर भी कर सकता है।  ये मानो ढेंकुल(Seesaw) के दो छोर हैं जो परस्पर एक दूसरे  को पर्याप्त  हायड्रेशन  की मौजूदगी में संतुलित रखने का भरपूर प्रयास करते हैं। इसकी सिफारिश की गई दैनिक मात्रा ४७ ०० मिलीग्राम बतलाई गई है लेकिन अधिकांश लोगों को इसकी आधी ही आपूर्ति हो  पाती है।इनमें पैदा हुआ असंतुलन ब्लड प्रेशर तथा हार्ट कॉन्ट्रेक्शन दोनों को प्रभावित कर सकता है।  (ज़ारी ) 

What we lose when we sweat (HINDI )

किसी भी वर्क आउट ,महनत मशक्कत के बाद  पसीना आने का  मतलब आपके शरीर से १- २ फीसद पानी का उड़ जाना होता है  श्रम के अनुरूप।  इसका नतीजा होता है :आपका वातापेक्षी कार्य (एरोबिक फंक्शन )-वायुजीवी व्यायाम के बाद  गड़बड़ होने लगता है। आपकी शारीरिक काम करने की क्षमता छीजने लगती है।  एक तरफ पानी की प्यास बढ़ती है दूसरी तरफ चिड़चिड़ाहट के अलावा दिल की लुबडुब साउंड हार्ट रेट।  रक्तचाप (ब्लड प्रेशर घटने लगता है )शरीर से ज्यादा पसीना निकल बह जाने पर बेहोशी छा जाने की सूरत भी बन सकती है। पसीना ही आना बंद हो सकता है जिससे अतिशय तापन शरीर की ओवरहीटिंग की संभावना बढ़ने लगती है।  रक्त संचरण मंदा पड़ के किसी भी अंग को ले बैठ सकता है। उसके प्रकार्य को ठप्प कर सकता है। अत : उचित जलीकरण ( हायड्रेशन ) यहां और भी ज़रूरी रहता है। सोचिये उस लेबर फ़ोर्स की जो चिलचिलाती  धूप में घंटों काम करने को विवश रहता है।  % BODY WATER LOSS                  CONSEQUENCES          ...

Myth# 3 As long as you avoid salty food you are fine (HINDI )

यथार्थ :याद रहे सोडियम शैतान नहीं है। आपको बने रहने के लिए जीवन की कायमी के लिए यह पुष्टिकर तत्व भी चाहिए ही चाहिए। आपका शरीर स्वयं इसका निर्माण नहीं कर सकता। यह इलेक्ट्रोलाइट आपके रक्त के वॉल्यूम ( खून के आयतन )को बढ़ाता है। और यदि आप दिन भर सक्रिय रहते हैं तब ऐसा होना होते रहना एक बड़ी बात समझी जायेगी। जरूरत के अनुरूप ब्लड वॉल्यूम बनाये रहना आपकी डेढ़ वर्ग मीटरी चमड़ी से ताप बाहर निकलता रहे इसके लिए निहायत ज़रूरी समझा गया है।इससे चमड़ी को पुष्टिकर तत्व ज़ज़्ब करने में भी मदद पहुँचती है। शरीर की महनत कश कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति बनी रहती है। हृद पेशी को भी यह ऑक्सीजन इमदाद पहुँचती है।  पसीने के ज़रिये सोडियम ही वह खनिज है जिसका  सबसे ज्यादा  निष्काशन   होता है शरीर तंत्र से।   मूत्र त्याग में भी इस लवण का निष्काशन होता है। पर्याप्त जलीकरण बना रहे इसके लिए इस साल्ट की आपूर्ति होते रहना ज़रूरी है। इसलिए कितना साल्ट पर्याप्त या ज्यादा माना समझा जाएगा। इस सवाल का कोई सीधा दो टूक  ज़वाब नहीं है। अगली क़िस्त में इसका उल्लेख एक...

Myth #2 You can be healthy without good hydration(PART II ,HINDI )

यथार्थ : सच यह है थोड़ा सा भी निर्जलीकरण आपकी  संज्ञानात्मक (बोध संबंधी )तथा शारीरिक गतिविधियों पर असर डालेगा। कुलमिलाकर आपके स्वास्थ्य को भी इस अल्प से प्रतीत होने वाले निर्जलीकरण (de-hydration )का खमियाज़ा भुगतना पड़ेगा ।  पर्याप्त जलीकरण रहने पर आपकी तमाम कोशाएं (कोशिकाएं ,body cells )भरपूर तरल में तैरती इठलाती रहतीं हैं। निर्जलीकरण आपके रक्त में तरल अंश  को कम कर देता है।ऐसे में आपके दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है उतना ही रक्त उठाने में। आपके शरीर का स्वयं को ठंडा करते रहने का मिज़ाज़ स्वभाव भी गड़बड़ा जाता है। आपकी पेशियाँ हारने थकने लगतीं हैं जल्दी ही। आपके रक्त की विस्कोसिटी (श्यानता )बढ़ जाती है। चिपचिपा ,गाढ़ा और सांद्र होने लगता है रक्त।  इसलिए जलीकरण को नज़रअंदाज़ मत करिये। आपका पर्याप्त ध्यान आपकी पूरी तवज्जो  माँगता है : हायड्रेशन।  (ज़ारी )

Tap into Water Power :Avoid these hydration myths (HINDI I )

Your body runs efficiently only if your fluids are in harmony .Avoid these hydration myths to calibrate the balance correctly and you 'll supercharge your health .By Christopher Mohr ,Ph.D ;RD  Myth # 1  Hydration is a daily goal reached by drinking water . मिथकीय माया जाल में घिरा है हमारा पेय जल  यथार्थ :खाली जल पीने  से वांछित जलीकरण नहीं होगा बॉडी चार्ज नहीं होगी। आपके जलीकरण का स्तर  अनेक बातों से तय होता है मसलन आपको पसीना कितना आता है ,आपका रोज़मर्रा का खाना पीना आपकी खुराक क्या है ?आप समुन्द्र से कितनी ऊंचाई पर रहते हैं वहां आद्रता (हवा में नमी )का स्तर क्या है।  याद रहे :स्वास्थ्यवर्धक हेल्दी खुराक आपकी रोज़मर्रा की पानी की ज़रूरियात का २० फीसद पूरा कर देती है।  तरबूज ,खीरा ,चकोतरा (grape fruit ),ब्रोक्क्ली ,सेव (एपिल्स )तथा अंगूर को अपनी दैनिकी के खानपान में जगह दीजिये।  पानी को सुस्वादु बनाने के लिए इसमें उपलब्ध फल काटके दाल लीजिये यथा बेरीज़ ,नीम्बू प्रजाति के फल ,कीवी ,संतरे ,पाइनेपल (अनानास )आदि को बराबर जगह देते रहिय...

जीवन का विज्ञान 'आयुर्विज्ञान 'एक विहंगम दृष्टि (विहंगावलोकन ,सरसरी तौर पर )Ayurveda a Birds Eye View

जीवन का विज्ञान 'आयुर्विज्ञान 'एक विहंगम दृष्टि' (विहंगावलोकन ,सरसरी नज़र   )Ayurveda a Birds Eye View आयुर्वेद का उल्लेख वैदिक ग्रंथों (वेदों )में भी मिलता है। यह चिकित्सा की सबसे प्राचीन पद्धति समझी गई है जो लगातार प्रचलन में रही है। पूरे  व्यक्ति की काया और उसके चित का समाधान प्रस्तुत करती है यह चिकित्सा प्रणाली । हमारी काया और हमारे मन को आरोग्य प्रदान करने वाली समेकित चिकित्सा प्रणाली (holistic health care system )है आयुर्वेद जो महज लक्षणों का इलाज़ नहीं करती पूरे प्रतिरक्षा  तंत्र को चुस्तदुरुस्त रखने का प्रयास करती है।  यहां रोग की तह तक पहुंचकर उसके बुनियाद कारणों की पड़ताल की जाती है।  आचार्य चरक यहां औषध शास्त्र (भेषज चिकित्सा )के पितामह कहलाते हैं। इनका कार्यकाल (600 before common era ,BCE)ठहरता है। 'चरक संहिता 'भेषज शास्त्र पर लिखा इनका प्रामाणिक ग्रंथ समझा गया है।  यहां तकरीबन एक लाख औषधीय पादपों ,जड़ी बूंटियों से तैयार होने वाली दवाओं की विस्तार से चर्चा आपको मिलेगी। इन दवाओं के गुणदोषों पर विमर्श मिलेगा। गुण...

हिंदुत्व में परमात्मा की शक्ति का प्राकट्य अनेकरूपा नारी है। दिव्य माँ के रूप में हिंदुत्व में ही नारी आराध्य देवीरूप में है

हिंदुत्व में परमात्मा की शक्ति का प्राकट्य अनेकरूपा नारी है। दिव्य माँ के रूप में हिंदुत्व में ही नारी आराध्य देवीरूप में  है  विद्या ,ज्ञान-विज्ञान , ललित एवं संगीत अभिनय आदि कलाओं की देवी यहां सरस्वती हैं। सांगीतिक प्रस्तुतियों के पहले दीप प्रज्जवलित किया जाता है माँ सरस्वती का आवाहन करने के लिए।  लक्ष्मी तमाम वैभव और सम्पदा ,धन की दात्री है। आराध्या है सनातन धर्मी भारतधर्मी समाज की। दुर्गा और काली दुष्ट संहारक हैं।  अथर्व वेद की ऋचाओं का आरम्भ देवी उपासना से होता है : यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता (मनुस्मृति ) अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है देवगण विराजते हैं वहां।  तैत्तिरीय उपनिषद में आया है : मातृदेवो भव  Let your mother be God to you  माँ हमारे लिए परमात्मा की तरह  आराध्या है  मनुस्मृति का उद्घोष है : A family whose women live in sorrow perishes .The family whose women are happy always prospers .A household whose unhappy women members curse perishes completely -Manusmriti...

सिक बिल्डिंग सिंड्रोम (Sick Building Syndrome )को बढ़ाने में अब अगरबत्ती (Incence stics ) की भूमिका

सिक बिल्डिंग सिंड्रोम (Sick Building Syndrome )को बढ़ाने में अब अगरबत्ती  (Incence stics ) की भूमिका भी खुलकर सामने आई है। समझा जाता है इससे  पैदा हमारी हवा के  प्रदूषण   की वजह इसमें प्रयुक्त बांस की महीन डंडी(Fine string ) बनती है। एक अगरबत्ती एक सिगरेट के जलने के वनस्पित औसतन डेढ़ से  दो गुना ज्यादा हमारी हवा में विभिन्न कणीय प्रदूषक छोड़ती है।   अलावा इसके ,इसके धुएं में 'फ़ेथलेट 'नाम का रसायन मिला है 'फ़ेथलेटिक एसिड  से व्युत्पन्न एक प्रदूषक है। इसके धुएं में मौजूद महीन कणों  में इटली के विज्ञानियों को न्यूरोटॉक्सिक और हिप्टोटोक्सिक कण भी  मिले हैं जो हमारी सेहत को नुक्सान पहुंचाते हैं महीन होने की वजह से इनकी पैठ फेफड़ों में जल्दी ही हो जाती है। हृदय और फेफड़ों की रुग्ड़ता(Cardiopulmonary Morbidity ) के अलावा इसके धुएं में  कई कैंसर पैदा करने वाले तत्व भी मौजूद हैं। सांस के मरीज़ों खाकर नौनिहालों में यह एलर्जिक रिएक्शन के एक असरदार ट्रिगर (उत्प्रेरक )का काम करते हैं। हमारे घर दफ्तर की हवा की गुणवत्ता को पलीता लग...